कुंडली के पंचम भाव यानी पांचवें भाव में शनि ग्रह की उपस्थिति से व्यक्ति को जीवन में मिले-जुले परिणाम मिलते हैं ऐसे लोग बुद्धिमान और विद्वान होने के साथ-साथ मेहनती और घूमने फिरने के शौकीन भी होते हैं शनि ग्रह की शुभ स्थिति दीर्घायु और सुखी जीवन शैली प्रदान करती है सभी ग्रहों में, शनि ग्रह को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है अब ऐसे में कुंडली के पंचम भाव में शनि का होना पंचम भाव से जुड़ी चीजों में देरी कराता है कुंडली का पंचम भाव बुद्धि, शिक्षा, संतान और प्रेम का कारक होता है पंचम भाव में शनि के कारण विवाह में देरी के कारण संतान में भी देरी होती है यह आपको शिक्षा के क्षेत्र में भी कड़ी मेहनत करवाता है जिसकी कुंडली के पंचम भाव में शनि हो ऐसे व्यक्ति को अपने प्रेम का इजहार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है कुल मिलाकर पंचम भाव का शनि संतान, विवाह और शिक्षा में विलंब का कारण बनता है