श्रम का बड़ा है मोल, दो जून की रोटी कमाना आसान नहीं
मिक सुरक्षा को लेकर बने कई कानून उनके अधिकारों और सुरक्षा की बात तो करते हैं लेकिन क्या उनकी प्रभावी तामील हो रही है इसकी पड़ताल शायद ही हो पाती है। मजदूर दिवस के अवसर पर महानगर चेन्नई के विविध क्षेत्रों में छायाकार हरिहर कृष्णन ने कई तरीकों से बोझा उठा रहे श्रमिकों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया जो यह दर्शाती है कि दो जून की रोटी के लिए कैसे मजदूर चिलचिलाती धूप और बदन तपा देने वाले गर्मी में अपना पसीना बहा रहे हैं।
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