(गीता-39) भगवान आ रहे हैं, आप तैयार हैं? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2024)

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#acharyaprashant

वीडियो जानकारी: 31.01.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:

~ जब हम धर्म ग्रंथों से दूर रहते हैं तो बस हम प्रतीक्षा ही करते रहते हैं भगवान के आने की।
~ जब हम खुद को देह ही माने रहते हैं, तो हम भगवान को भी देह मात्र माने बैठे रहते हैं।
~ जो श्रीकृष्ण से अलग हैं वो पहले ही मरे हुए हैं तो उनको मारने के लिए भगवान क्यों आएँगे?
~ जब कृष्ण कहते हैं कि वे आआएँगे, तो उनका मतलब है कि आत्मा की अभिव्यक्त होगी।
~ कृष्ण का प्राकट्य यानी कृष्ण आपके अंदर प्रकट होंगे, कहीं बाहर नहीं जन्म लेंगे।
~ धर्म की रक्षा तो हमें-आपको ही करना है, हमें ही कृष्ण बनना होगा, और कहीं से कृष्ण नहीं आएँगे!
~ सनातन धर्म कथाओं का नहीं वैदिक धर्म है, वेदान्तिक धर्म है।

~ कृष्ण क्या समझा रहे हैं - कि जब-जब धर्म की हानि होगी तब तब मैं आऊँगा?
~ भगवान कब अवतार रूप में आते हैं?
~ जब अधर्म बहुत बढ़ जाता है तब धर्म को आना पड़ता है - क्या आशय है?
~ धर्म के नाम पर चल रहे दुष्प्रचारों से कैसे बचें?

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ।।४.८।।
गिरना तेरा बहुत हुआ,
रुक जा अब रुक जा
कर झूठ पर वार प्रचंड,
सच समक्ष है झुक जा
तू तू नहीं तू मैं हो,
तो मेरी ताकत तेरी है
तू मैं मैं तू हूं तू दहाड़,
नहीं दूरी है नहीं देरी है


संगीत: मिलिंद दाते
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