भगवान, वर्ण व्यवस्था, और स्वामी विवेकानंद आचार्य प्रशांत (2024)

  • 3 months ago
#acharyaprashant

वीडियो जानकारी: 29.02.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:

आजकल मिसिनफ़ॉर्मेशन फैलाई जा रही है, सबसे महत्वपूर्ण काम है उसको हटाना।
धर्म के नाम पर फैल रहे अंधविश्वास को कैसे रोकें?

~ धर्म की प्रासंगिकता क्या है?
~ इंसान को धर्म की आवश्यकता क्यों है?
~ आज के मानव के लिए सच्चे अर्थों में धार्मिक होने के क्या मायने हैं?
~ धर्म, लड़ाई का कारण कैसे हो सकता है?
~ धर्म में इतनी क्रूरता (brutality) कैसे आ रही है?
~ आम आदमी के लिए धर्म क्या है?
~ आस्तिक और नास्तिक की क्या परिभाषा है?
~ ईश्वर और सत्य में क्या अंतर है?
~ आस्तिकता का क्या अर्थ होना चाहिए ?
~ भविष्य का धर्म कौनसा है ?
~ भारत में धर्म को लेकर इतना अंधविश्वास क्यों?
~ कौन सा धर्म सनातन धर्म है?
~ भगवान की कोई जाति होती है?
~ क्या भगवान ने वर्ण व्यवस्था बनाई है?

मोकों कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में।
खोजी होय तो तुरते मिलिहौं, पल भर की तालास में।
कहैं कबीर सुनौ भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में।।

जीवन मुक्त सोई मुक्ता हो।
जब लगि जीवन मुक्ता नाहीं, तब लगि सुख दुख भुक्ता हो।।
~ कबीर साहब


संगीत: मिलिंद दाते
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