जयपुर शहर में मुख्य बाजारों खास कर चारदिवारी के मुख्य बाजारों में सरकार द्वारा अलॉट की गई दुकानों की छतों और बरामदों की छतों को सरकारी सम्पत्ति माना गया है।

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जयपुर शहर में मुख्य बाजारों खास कर चारदिवारी के मुख्य बाजारों में सरकार द्वारा अलॉट की गई दुकानों की छतों और बरामदों की छतों को सरकारी सम्पत्ति माना गया है।

इन छतों को किसी को अलॉट नहीं किया गया है, फिर भी हैरिटेज का सत्यानाश कर बाजारों में अवैध तरीके से छतों पर कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है।

जयपुर नगर निगम हैरिटेज के किशनपोल जोन के आधीन इंदिरा बाजार में दुकान नम्बर 80 और उससे आगे मिठाई की दुकानों पर स्थित सरकारी छत पर कब्जा कर किया जा रहा है अवैध निर्माण।

सतर्कता शाखा, जोन भवन शाखा और मुख्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी में होने के बाद भी हैरिटेज बिगाड़ने वाले दुकानदारों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

लेकिन मिलीभगत की गहरी जड़ों के चलते मामलों को दबा दिया जाता है, आखीर क्यों? भारी मिठाई का वजन भी हो सकता है अवैध निर्माण को बढ़ावा देने का कारण।

ज्ञात रहे कि हैरिटेज महत्व के बाजारों और जयपुर शहर की चारदिवारी क्षेत्र के आवासीय मकानों में निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है नया निर्माण को कतई नहीं।

सरकारी सम्पत्ति पर कब्जा कर के निर्माण करना तो गैर कानूनी है ही और ऐसे अवैध निर्माण करवाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान होते हुये कार्यवाही नहीं होना क्या दर्शाता है?

अवैध निर्माणों को सीज करने की कार्यवाही सतर्कता शाखा ने अभी तक नहीं की है जोन के अधिकारियों की तो बात ही कुछ ओर है।

अब देखना यही है कि हैरिटेज को बचाने के लिये क्या कार्यवाही करते हैं निगम अधिकारी और जिला व राज्य प्रशासन।

राजपूताना न्यूज जयपुर ब्यूरो की रिर्पोट

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