Jinhe Hai Fikr (Poem) Recited by: Jeet Ojha Written by: Sikandar Dehravi, Dharmendra Shekhar Ojha
जिन्हें है फिक्र रोटी की वो बस चूल्हा जलाएँगे जिन्हें सबकुछ मय्यसर है वो दीवाली मनायेंगे
कभी थाली कभी ताली तमाशा रोज़ करते हैं ये सौदागर है लाशो के, कफन भी बेच खाएँगे
करें मजदूर आखिर क्या इधर कुँवा उधर खाई मरेंगे भूख से ये या पुलिस की मार खायेंगे
सुना था शैख़ देते थे कोरोना की कोई ताबीज सुना है अपने बच्चो के लिए वो मास्क लायेंगे
वो जो गौमूत्र गोबर की वकालत कर रहें थे कल कहाँ पर छुप गए है वो नजर क्या फिर से आएँगे?
बहुत बढ़ने लगे है केस दिल्ली में कोरोना के चलो अगला इलेक्शन अबके दिल्ली में कराएँगे
कोरोना ने पहन ली ख़ाकी चड्डी हो गया भगवा किसानों को मेरे साहब इसी से तो भगाएंगे
#JinheHaiFikr
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