अत्यन्त प्रभावशाली बीज मन्त्रों से करें रोगों का उपचार | Beej Mantra Se Upchar
  • 2 years ago
बीज मंत्रों से उपचार -

खं – हार्ट-टैक कभी नही होता है | हाई बी.पी., लो बी.पी. कभी नही होता | ५० माला जप करें, तो लीवर ठीक हो जाता है | १०० माला जप करें तो शनि देवता के ग्रह का प्रभाव चला जाता है |

कां – पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आंतों की सूजन में लाभकारी।

गुं – मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।

शं – वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी ।

घं – काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन-उच्चाटन आदि के दुष्प्रभाव के कारण जनित रोग-विकार को शांत करने में सहायक।

ढं – मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राकृतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।

पं – फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।

बं – शूगर, वमन, कफ, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।

यं – बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।

रं – उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।

लं – महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर करने में उपयोगी।

मं – महिलाओं में स्तन सम्बन्धी विकारों में सहायक।

धं – तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।

ऐं – वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलेस्ट्राॅल, मूर्छा आदि असाध्य रोगों में सहायक।

द्वां – कान के समस्त रोगों में सहायक।

ह्रीं – कफ विकार जनित रोगों में सहायक।

ऐं – पित्त जनित रोगों में उपयोगी।

वं – वात जनित रोगों में उपयोगी।

शुं – आंतों के विकार तथा पेट संबंधी अनेक रोगों में सहायक ।

हुं – यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉयटिक सिद्ध होता है। गाल ब्लैडर, अपच, लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।

अं – पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक इस बीज का सतत जप करने से शरीर में शक्ति का संचार उत्पन्न होता है।
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