Maharashtra की Mahabharat में दोस्ती और दुश्मनी की दास्तान|Maharashtra Mahabharat|

  • 2 years ago
राजनीतिक शब्दकोश का सबसे मशहूर मुहावरा ये है कि यहां न कोई स्थायी दुश्मन होता है, न कोई स्थायी दोस्त...हकीकत में ऐसा नजर भी आता है. कौन नेता और दल कब किस खेमे के साथ चला जाए, कोई अनुमान नहीं लगा पाता. अगर सियासत इतनी अनप्रेडिक्टिबल है तो फिर इसका तरीका हमेशा एक जैसा ही क्यों रहे?
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