विधानसभा चुनाव 2022: अखिलेश यादव का ये है फॉर्मूला 'पंचनामा' II विरोधियों को देगा धोबी पछाड़ !

  • 3 years ago
‘पंचनामा’ करने के लिए तैयार अखिलेश यादव !
स्पेशल फॉर्मूला ‘पंचनामा’ पर लगातार हो रहा काम !
अखिलेश की तरफ से अहम पांच मुद्दों पर बनी रणनीति !
2022 में 5 पहलू बनेंगे अहम ‘एक्स फैक्टर’!
सपा नेता अभी से फॉर्मूले को लागू करने की कर रहे पूरी तैयारी !
कौन-कौन से अहम मुद्दे स्पेशल फॉर्मूला ‘पंचनामा’ में हैं शामिल ?
2022 चुनाव को लेकर बेहद गंभीरता से सपा कर रही तैयारी !

उत्तर प्रदेश में जोड़ तोड़, दल बदल और सियासी रणनीति बनाने का दौर लगातार जारी है…आगामी विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए राजनीतिक दल अपने-अपने फायदे और नफा नुकसान को देखते हुए तैयारियों में जुटे हैं…जिसमें सपा के अंदर फॉर्मूले पर फॉर्मूले इजाद किए जा रहे हैं क्योंकि मौजूदा सरकार इतनी गलतियां कर बैठी है कि सपा के पास एक के बाद एक मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका है…ऐसे में अब सपा योगी सरकार का पंचनामा करने के लिए तैयार बैठी है और सपा की तरफ से स्पेशल फॉर्मूला ‘पंचनामा’ तैयार किया गया है…सपा ने जो फॉर्मूला पंचनामा तैयार किया है उसमें सपा ने 5 अहम पहलुओं को शामिल किया है और सपा को यकीन ही नहीं भरोसा भी है कि अगर उसने इन पांच पहलुओं को बेहतरी से जनता के सामने पेश कर दिया तो फिर बीजेपी को हराना बेहद आसान होगा…अब आप सोच रहे हैं होंगे कि ये पांच अहम पहलू हैं कौन से…तो देर न करते हुए एक एक कर हम आपको बताते हैं कि सपा ने स्पेशल फॉर्मूला पंचनामा में कौन कौन से पहलू शामिल किए हैं…

पार्टी की एकता पर किया जा रहा है काम
जी हां अखिलेश यादव को अच्छे से पता है कि 2014 से लेकर अब तक अगर बड़े चुनावों में सपा की हार की कोई वजह थी तो वो थी पार्टी की एकता का कमजोर होना…ऐसे में अब अखिलेश यादव रुठों को मनाने और जो रुठे नहीं है और रुठने के संकेत दे रहे हैं उन्हे साधने का काम कर रहे हैं…जिसमें चाचा शिवपाल सिंह यादव का भी नाम शामिल है…अखिलेश यादव अब चाचा को भी साथ लाने की कोशिशों में लगे हैं और इस मामले पर उन्होंने खुलकर बयान भी दिया है…जिसके बाद बीजेपी खेमे में खलबली दिख रही हैं क्योंकि 2017 में सपा को हराने में बीजेपी इसीलिए सफल हुई थी कि चाचा भतीजे अलग थे लेकिन अब साथ आने के संकेत हैं तो बीजेपी को हार का डर सता रहे हैं….

बीएसपी की आंतरिक कलह को वोटबैंक में बदलना
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे संभव होगा…तो ये संभव हो सकता है और इसको संभव करने के लिए सपा आलाकमान काम कर रहा है…बीएसपी और सपा का वोटबैंक कुछ हद तक एक जैसा ही है ऐसे में सपा की कोशिश है कि बीएसपी की कमजोरी का एहसास जनता को करवाया जाए और जब जनता को बीएसपी की कमजोरा का एहसास होगा तो सपा के खाते में बीएसपी का वोटबैंक भी आएगा…लगातार बीएसपी नेताओं का सपा में एंट्री लेना इस कमजोरी को सही भी साबित कर रहा है…

ठाकुरवाद वाली राजनीति से उठी बगावत को अपने पाले में करना
योगी आदित्यनाथ सरकार में ठाकुरवाद का आरोप लगता है और ब्राह्मणों के अलावा अन्य समुदायों की अनदेखी की बात कही जाती है…ऐसे में बीजेपी का कोर वोट अब बीजेपी से ही नाराज दिखता है जिसमें बिकरूं कांड की आग अब भी सुलग रही है…ऐसे में जितिन प्रसाद के सहारे बीजेपी ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश तो की है लेकिन सपा फिर भी बीजेपी से आगे दिख रही है और बीजेपी पकड़ कमजोर दिख रही हैं….

काम बोलता है मॉडल के सहारे सत्ता से सीधा सवाल

2017 में सपा के प्रचार का अहम हिस्सा था काम बोलता है…हर प्रचार वाहन पर ये स्लोगन लिखा रहता था और गाना भी चलता रहता था…ऐसे में सपा अब मौजूदा सरकार से सवाल पूछेगी कि अपने अहम प्रोजेक्ट को

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