जितिन प्रसाद के BJP में जाने से सपा को होगा अब डबल फायदा II BJP की चालाकी बनी सपा के लिए संजीवनी !
  • 3 years ago
बीजेपी की चाल पड़ी बीजेपी पर ही भारी !
सपा को बीजेपी की इस चाल का मिलेगा फायदा !
जितिन प्रसाद की बीजेपी में एंट्री सपा को देगी संजीवनी !
सपा के खाते में जुड़ सकता है एक बड़ा वोट बैंक !
अब अखिलेश यादव को होना होगा थोड़ा और सक्रिय !
बीजेपी के बागियों से सपा को मिलेगा बहुत सहयोग !
अखिलेश यादव को सोशल इंजीनियरिंग पर करना होगा फोकस !

बीजेपी उत्तर प्रदेश में साम, दाम दंड, भेद वाली सियासी पॉलिसी अपनाकर 2022 में फिर से सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही है लेकिन बीजेपी मजबूती हासिल करने के चक्कर में अपना ही नुकसान कर बैठती है…अब बीजेपी ने एक ऐसी गलती कर दी है जिसका फायदा सपा को सीधा सीधा मिलने के संकेत हैं बस अखिलेश यादव को अपने सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले को धार देनी होगी और जनसंपर्क के जरिए अपना कद बढ़ाना होगा…अखिलेश यादव का एसा करते ही प्रदेश का एक बड़ा वोटबैंक सपा के खाते में आ जाएगा…लेकिन इसके लिए मेहनत अखिलेश यादव को करनी ही होगी…अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बीजेपी की कौन सी गलती सपा के लिए संजीवनी का काम करेगी…तो वो गलती है जितिन प्रसाद को पार्टी में लेने की गलती…दरअसल पूर्व कांग्रेस नेता और मौजूदा वक्त में बीजेपी नेता जितिन प्रसाद की राजनीति को अगर देखा जाए तो वो पूरी की पूरी बीजेपी के विरोध पर टिकी थी…बिकरू कांड के बाद जितिन प्रसाद ने एक संगठन का गठन किया था और उसके सहारे वो बीजेपी के खिलाफ जमकर आग उगल रहे हैं थे और ब्राह्मण वोटर्स को अपने पाले यानि कांग्रेस के पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे…अपने संगठन के जरिए जितिन प्रसाद ने बीजेपी की जमकर बखिया उधेड़ी और खुद को एक मसीहा के तौर पर पेश किया…हालांकि बीजेपी को इससे खतरा लग रहा था क्योंकि जितिन के साथ ब्राह्मण वोटर्स जुड़ रहे थे…तो ऐसे में बीजेपी ने जितिन प्रसाद को अपने साथ मिला लिया…अब सवाल उन ब्राह्मणों के सामने हैं कि जिसे वो अपना मसीहा मान रहे थे उसने तो उन्हे धोखा दे दिया और अवसरवाद की मलाई चाटने के लिए उसी बीजेपी की गोद में जा बैठा जिसका विरोध कर वो हमारा होने का दावा कर रहा था…जितिन प्रसाद और बीजेपी ने अपना भला जरूर सोचा लेकिन दोनों ही इस मामले में गच्चा खा गए अब जितिन के बीजेपी में जाने से जो ब्राह्मण उनपर भरोसा कर रहे थे वो काफी खफा है…ऐसे में वो किस पार्टी के साथ जाए इस सोच में है…कांग्रेस के साथ जाने से उनका कुछ भला दिखता नहीं और बीएसपी की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है ऐसे में अब जितिन की एंट्री से बीजेपी से पहले ही नाराज ब्राह्मणों के सामने ले देकर सपा का ही विकल्प बचता है…और ऐसे में अखिलेश यादव को ये मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए…अखिलेश यादव को सक्रिय होने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग को तेज करना चाहिए और ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के प्रयास तेज कर देने चाहिए…जिसके सहारे 2022 की सियासी जंग में अखिलेश यादव बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं…लेकिन देखना यही है कि अखिलेश यादव मामले पर कब जागते हैं और कब सक्रियता दिखाते हैं…ब्यूरो रिपोर्ट
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