आभार भाव दादा और उनके ज्ञान के प्रति

  • 3 years ago
यह पुण्य है जिसकी वजह से मुझे साठ साल की उम्र हो जाने पर भी दादा भगवान के अक्रम ज्ञान की प्राप्ति हुई है। दादाजी ने मुझे स्वीकार किया है इसके लिए में आभारी हूँ।रोज सुबह टी.वी. में दादाजी के दर्शन करने और सत्संग को देखने के लिए मैं बहुत उत्सुक रहता हूं। इस सत्संग के घूंट पीते पीते आँसुओ की धारा बहने लगती है। दस जन्म भी बीत जाएं फिर भी मैं दादाजी के ज्ञान का ऋण नहीं चूका पाउँगा।

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