बर्फीली हवाओं के लिए रहिए तैयार, पश्चिम उप्र में हुई 500 प्रतिशत अधिक बारिश
  • 3 years ago
पश्चिम उत्तर प्रदेश में लंबे समय बाद बारिश हुई है। जनवरी के पहले हफ्ते में हुई यह बारिश मुख्यतः पश्चिमी और मध्य जिलों पर ही केन्द्रित रही। पूर्वी हिस्सों में छिटपुट वर्षा दर्ज की गई। जबकि पश्चिमी उप्र में कुछ जिलों में भारी बारिश और ओलावृष्टि भी हुई। पश्चिमी जिलों में बरसात के दौरान सूखे मौसम जैसे हालात रहे लेकिन उसके बाद से पश्चिम उ्रप का मौसम अचानक से बदला और अब सर्दी के मौसम में पश्चिम उप्र में 500 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार 1 जनवरी से 6 जनवरी के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 500 प्रतिशत अधिक वर्षा मिली है। अमूमन इस दौरान प्रति वर्ष औसतन लगभग 2 मिमी बारिश होती है जबकि औसत से 500 प्रतिशत अधिक 11.4 मिमी वर्षा पश्चिम उप्र के जिलों में हो चुकी है। दूसरी ओर पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस अवधि के दौरान सामान्य से 83 प्रतिश्त कम वर्षा हुई है।
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बदले मौसम के कारण जनवरी के पहले हफ्ते में उत्तर प्रदेश के लगभग सभी भागों से शीतलहर का प्रकोप खत्म हो गया था। कृषि मौसम वैज्ञानिक डा0 एन सुभाष के अनुसार 11 जनवरी, 2021 से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा 12 जनवरी से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बर्फीली हवाएँ पहाड़ों से होकर आएंगी जिससे राज्य में न्यूनतम तापमान में फिर से भारी गिरावट होगी।

12 जनवरी से तापमान में व्यापक कमी के चलते उम्मीद कर सकते हैं कि शीतलहर का प्रकोप राज्य के तराई क्षेत्रों समेत कुछ भीतरी जिलों में देखने को मिल सकता है। यह 2020-21 के सर्दी के मौसम की आखिरी शीतलहर होगी।
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कृषि वैज्ञानिकों की सलाह ऐसे करें फसलों का बचाव
मौसम में अनियमितता के कारण फसलों में कीटों और रोगों के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए फसलों में नियमित निगरानी करते रहें। मटर में यदि पाउडरी मिल्ड्यू के लक्षण दिखाई दें तो इसके नियंत्रण के लिए घुलनशील सल्फर की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में स्प्रे करें।
गेहूँ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप हो तो मौसम साफ हो जाने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 2 लीटर प्रति एकड़ 20 किग्रा बालू में मिलाकर शाम के समय खेतों में भुरकाव करें। चने कि फसल को फली छेदक से बचाने हेतु फेरोमोन ट्रेप लगाए जा सकते हैं।
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