PM मोदी ने दीप जला की दीप उत्सव की शुरुआत, 15 लाख से ज़्यादा दीयों से जगमगाए वाराणसी के घाट
  • 3 years ago
दिव्य मास कार्तिक की गोधूलि बेला। आदिकेशव से लेकर सामनेघाट तक फैला गंगा का विस्तृत पाट, देवताओं की दीपावली में भागीदारी के उल्लास से झूमती उत्सवप्रिय काशी के लाखों-लाखों मगनमन निवासी, दीपमालिकाओं से अलंकृत सीढ़ियां। पथरीले घाटों पर लेजर लाइट, इंद्रधनुषी अल्पनाओं व रंगोलियों के ठाट। इन सब के बीच दिवस का अवसान जैसे जैसे करीब आ रहा था मानो असंख्य दीपों की ज्योति अपने आविर्भाव के लिए मचल रही थी। दीप जलने लगे तो लगा, मानों आकाश गंगा स्वर्णिम चादर ओढ़कर जाह्नवी के किनारे उतर आई हो। महसूस हुआ कि इस दृश्य को देखने का मोह सूर्य देवता भी नहीं छोड़ सके और जाते-जाते अपनी किरणों को काशी के घाट पर ही छोड़ गए। दृश्य ऐसा कि मानों देवों के वास की मान्यता मूर्तमान नजर आने लगी हो। 
राजघाट पर धर्म नगरी काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब दीप जलाकर इस उत्सव की औपचारिक शुरुआत की तो दीपों का इठलाना और बढ़ गया। घाट पर मौजूद लोगों के अलावा लाइव प्रसारण के माध्यम से इस अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय पल के साक्षी बने 135 देश।
इससे पहले दोपहर से ही बनारस में मौजूद हर कदम घाट की ओर बढ़ रहे थे। चेहरे पर खुशी और उत्साह की चमक लिए कोई भी इस उत्सव में शामिल होने का यह दुर्लभ मौका खोना नहीं चाहता था। पूनम के चांद तले हर घाट का अपना अलग ही नजारा था। असि घाट हो या तुलसी घाट, सब लोक भावना के प्रतीक बनकर दमक रहे थे। चेतसिंह घाट की तो बात ही निराली। यहां का लेजर शो अपने आप में विस्मित करने वाला था। पंचनदतीर्थ पंचगंगा घाट पर कहीं आरती की लौ, कहीं आतिशबाजियों दपदप करता ऐतिहासिक हजारा अलग ही शोभा बढ़ा रहा था तो दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में जले दीये रोशनी बिखेर रहे थे। कहीं धूप-लोबान लोगों को विभोर कर रहे थे तो कहीं अगरबत्ती की सुवास से घाट महमह कर रहे थे। इन्हीं सब के बीच लोग अपने मोबाइल और कैमरे से इन पलों को कैद करने की हसरत पर भी काबू नहीं कर पा रहे थे। इन सबमें सेल्फी सबसे आगे थी।
काशी ने आज दुनिया के सबसे बड़े जल पर्व के आयोजन से यह दिखा दिया कि हम कोरोना से डरे नहीं हैं बल्कि हम शारीरिक दूरी और मास्क के साथ उससे बिना डरे मुकाबला कर रहे हैं। कोई भी घाट ऐसा नहीं था जहां कोरोना से बचाव के लिए एहतियात न बरती जा रही हो। दीप जलाने वाले मास्क और सुरक्षित दूरी के साथ अपना काम कर रहे थे तो देखने वाले भी नियमों का पालन कर रहे थे। दीये भी कुछ इस तरह जल रहे थे कि वे भी सुरक्षित दूरी के पालन का संदेश दे रहे हों।
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