कोरोना काल में भी हो रहा इन परंपराओं का निर्वहन

  • 4 years ago
कोरोना काल में भी हो रहा इन परंपराओं का निर्वहन
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ललितपुर । विंध्याचल पर्वत श्रंखलाओं से घिरा बुंदेलखंड का यह अंचल वैसे तो अपने संसाधनों के अभावों और बदहाली के कारण जाना जाता है । लेकिन इस बदहाल इलाके में ऐसी कई शूरवीरों का जन्म हुआ है जिनके नाम से इसकी पहचान है और परम्पराओं के साथ लोक साहित्य है जो यहाँ की अपनी एक अलग पहचान बनाता है । पर काल के गर्त में धीरे- धीरे ये परम्पराएं समाप्त होती जा रहीं हैं। इसके साथ ही यहां के लोगों पर कोरोना संकट आ खड़ा हुआ है । इन सबके बावजूद यहां के ग्रामीणों का हौसला पस्त नहीं हुआ वह अपने धार्मिक रीति-रिवाजों को किसी भी तरह छोड़ने को तैयार नहीं चाहे जितना भी सड़क बड़ा संकट आ खड़ा हो। ऐसे ही कोरोना काल में भी मौनी बाबाओं के साथ ग्रामीणों का जोश जुनून देखने को मिला। ऐसी ही एक परम्परा है दिवारी गीत और मौनी नृत्य । दीपावली के दूसरे दिन जहां इनके ये दल हर गली और नुक्कड़ पर दिख जाते थे अब यह कुछ गांवों सीमित होते जा रहे हें । और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नई पीढ़ी इन परंपराओं को कुरीति मानकर निर्वाहन करने से इंकार कर रही है। हालांकि इन सबके बावजूद ग्रामीणों का हौसला कम नहीं हुआ आज भी वह अपनी परंपराओं का निर्वहन करते नजर आ रहे हैं । हां इतना जरूर है कि नई पीढ़ी उनका साथ देने को तैयार नहीं लेकिन कई ऐसे स्थान हैं जहां नई पीढ़ी भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है।

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