SHIV GAYATRI MANTRA 108 TIMES
- 4 years ago
शिव गायत्री मंत्र : Shiva Gayatri Mantra (Keep Away the Negative Energy)
'ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'
Om, Let me meditate on the great Purusha, Oh, greatest God, give me higher intellect, And let God Rudra illuminate my mind.
भगवान शिव सृष्टि के संहारकर्ता हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा पालनकर्ता, श्री हरि विष्णु कल्याण करने वाले देवता हैं। ऐसी वेद, पुराण एवं विद्वानों की मान्यता है एवं सृष्टि का संचालन होता है। मनुष्य प्रभु की आराधना किसी भी रूप में करता चला आ रहा है। भारतीय मनुष्य शिव को कई रूपों में भजता है, पूजता है और मनाता है।
भगवान रुद्र साक्षात महाकाल हैं। सृष्टि के अंत का कार्य इन्हीं के हाथों है। सारे देव, दानव, मानव, किन्नर शिव की आराधना करते हैं। मानव के जीवन में जो कष्ट आते हैं, किसी न किसी पाप ग्रह के कारण होते हैं। भगवान शिव को सरल तरीके से मनाया जा सकता है। शिव को मोहने वाली अर्थात शिव को प्रसन्न करने वाली शक्ति 'गायत्री' (गायत्री मंत्र) है जो महाकाली भी कहलाती हैं।
जातक को यदि जन्म पत्रिका में कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु तथा शनि से पीड़ा है अथवा ग्रहण योग है जो जातक मानसिक रूप से विचलित रहते हैं जिनको मानसिक शांति नहीं मिल रही हो तो उन्हें भगवान "शिव की गायत्री मंत्र" से आराधना करना चाहिए।
क्योंकि कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु-केतु को पाप-पुण्य संचित करने तथा शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है। इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीड़ित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेव जी उस जातक (मनुष्य) की पीड़ा दूर कर सुख पहुँचाते हैं। भगवान शिव की शास्त्रों में कई प्रकार की आराधना वर्णित है परंतु "शिव गायत्री मंत्र" का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है।
मंत्र निम्न है :-
'ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'
इस मंत्र का विशेष विधि-विधान नहीं है। इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। इसी के साथ सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे।
शिवजी के सामने घी का दीपक लगाएँ। जब भी यह मंत्र करें एकाग्रचित्त होकर करें, पितृदोष, एवं कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को यह मंत्र प्रतिदिन करना चाहिए। सामान्य व्यक्ति भी करे तो भविष्य में कष्ट नहीं आएगा। इस जाप से मानसिक शांति, यश, समृद्धि, कीर्ति प्राप्त होती है। शिव की कृपा का प्रसाद मिलता है।
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#ShivGayatriMantra #शिव_गायत्री_मंत्र #shivay
'ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'
Om, Let me meditate on the great Purusha, Oh, greatest God, give me higher intellect, And let God Rudra illuminate my mind.
भगवान शिव सृष्टि के संहारकर्ता हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा पालनकर्ता, श्री हरि विष्णु कल्याण करने वाले देवता हैं। ऐसी वेद, पुराण एवं विद्वानों की मान्यता है एवं सृष्टि का संचालन होता है। मनुष्य प्रभु की आराधना किसी भी रूप में करता चला आ रहा है। भारतीय मनुष्य शिव को कई रूपों में भजता है, पूजता है और मनाता है।
भगवान रुद्र साक्षात महाकाल हैं। सृष्टि के अंत का कार्य इन्हीं के हाथों है। सारे देव, दानव, मानव, किन्नर शिव की आराधना करते हैं। मानव के जीवन में जो कष्ट आते हैं, किसी न किसी पाप ग्रह के कारण होते हैं। भगवान शिव को सरल तरीके से मनाया जा सकता है। शिव को मोहने वाली अर्थात शिव को प्रसन्न करने वाली शक्ति 'गायत्री' (गायत्री मंत्र) है जो महाकाली भी कहलाती हैं।
जातक को यदि जन्म पत्रिका में कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु तथा शनि से पीड़ा है अथवा ग्रहण योग है जो जातक मानसिक रूप से विचलित रहते हैं जिनको मानसिक शांति नहीं मिल रही हो तो उन्हें भगवान "शिव की गायत्री मंत्र" से आराधना करना चाहिए।
क्योंकि कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु-केतु को पाप-पुण्य संचित करने तथा शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है। इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीड़ित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेव जी उस जातक (मनुष्य) की पीड़ा दूर कर सुख पहुँचाते हैं। भगवान शिव की शास्त्रों में कई प्रकार की आराधना वर्णित है परंतु "शिव गायत्री मंत्र" का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है।
मंत्र निम्न है :-
'ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'
इस मंत्र का विशेष विधि-विधान नहीं है। इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। इसी के साथ सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे।
शिवजी के सामने घी का दीपक लगाएँ। जब भी यह मंत्र करें एकाग्रचित्त होकर करें, पितृदोष, एवं कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को यह मंत्र प्रतिदिन करना चाहिए। सामान्य व्यक्ति भी करे तो भविष्य में कष्ट नहीं आएगा। इस जाप से मानसिक शांति, यश, समृद्धि, कीर्ति प्राप्त होती है। शिव की कृपा का प्रसाद मिलता है।
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