Breaking News: जबरन दलित की जमीन पर तहसीलदार ने कराया दबंग का कब्जा, एसडीएम छीपाबड़ौद के स्थगन आदेश की अवमानना,
  • 4 years ago
राजस्थान के बारां जिले की तहसील छिपाबड़ोद के गांव गुलखेड़ी में तहसीलदार और पटवारी सहित टांचा गांव के सरपंच एवं कवाई थाने के एएसआई के द्वारा एक दलित की जमीन को जबरन हंकवा दिया। जिसमें सोयाबीन की फसल खडी़ थी।
इस मामले में रास्ते का जबरन विवाद बनाया जा रहा है। पड़ोसी खेत के जगमोहन माली के द्वारा दलित समाज के लोगों की जमीन पर जबरन घुसने का प्रयास किया जा रहा है। और उनसे जबरन रास्ते की मांग कर रहा है।
इस कार्रवाई को करने के लिए 25 तारीख को किशनगंज छिपाबड़ोद तहसीलदार ने जबरन ट्रैक्टर चलवा दिया और रास्ता जगमोहन माली को दिलवा दिया। इससे अनुसूचित जाति के पांच भाई बहनों की जमीन जोकि खसरा नंबर 53 पर काबिज हैं। और वर्षों से खेती करते आ रहे हैं। इनके बाप दादा भी इसी भूमि पर खेती करते चले आ रहे हैं। 25 तारीख शुक्रवार को अचानक छिपाबड़ोद तहसील दार अपने पूरे लवाजमें के साथ जमीन पर पहुंचे और तहसीलदार ने इस जमीन पर ट्रैक्टर चलवा दिया और खड़ी फसल को हकवा दिया और रास्ता माली समाज के व्यक्ति को दिलवा दिया। इस जमीन पर सीबीआई बेंक शाखा छिपाबड़ोद के द्वारा कैसीसी बना हुआ है। जो रहन दर्ज है। खातेदार राम लखन, रामभरोस, मदन लाल, द्वारका लाल, पुत्र गोपाल द्रोपती व कमला पुत्रियां गोपाल भूलाबाई पत्नी स्वर्गीय गोपाल का हिस्सा बराबर इस जमीन पर है।
इसी मामले का एक वाद न्यायालय एसडीएम छीपाबड़ौद के यहां दायर है जिसमें जगमोहन, रामगोपाल, ओमप्रकाश, रामनिवास, रिंकू जाति माली निवासी भैरूपुरा तहसील छीपाबड़ोद जिला बारां के विरूद्ध वादीगण रामलाल रामभरोस मदनलाल द्वारका लाल द्रोपती बाई कमलाबाई मूली बाई निवासी गुल खेड़ी तहसील छीपाबड़ोद ने प्रतिवादी गणों के विरुद्ध वाद दायर किया था। जिसमें 26 अगस्त दिन तक स्थगन आदेश न्यायालय एसडीएम छीपाबड़ौद के द्वारा दिया गया है। जो कि वादिगणों के पक्ष में प्रभावी है। जब तक इस प्रकरण में अग्रिम आदेश उपखंड मजिस्ट्रेट के द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता। इसमें तहसीलदार के द्वारा न्यायालय की अवमानना की गई है और कानून को ताक में रखकर प्रतिवादी जोकि राजनीतिक पहुंच रखता है उस के पक्ष में एक राय होकर तहसीलदार पुलिस पटवारी सरपंच आदि ने जबरन एक दलित व्यक्ति की कृषि भूमि पर ट्रैक्टर चलवा दिया और जबरन रास्ता दिलवाने की कोशिश की गई। इस तरह से प्रशासन के अधिकारियों द्वारा बारां जिले में दलितों पर अत्याचार किया जा रहा है ओर संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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