कभी था गुलजार, आज है उजाड़

  • 4 years ago
2003 में तत्कालीन राज्यसभा सांसद और वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कर कमलों के द्वारा बस्ती के कप्तानगंज ब्लाक के विस्नोहरपुर गांव में एक बारात घर का निर्माण कराया गया था लेकिन रखरखाव और देखरेख के अभाव में आज यह बारात घर खंडहर में तब्दील हो चुका है। पेश है बस्ती से हमारे संवाददाता की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
अपनी निधियों से इलाके में जनप्रतिनिधि जनहित के विकास कार्य करते हैं लेकिन कभी निधि से खर्च किए गए धन का उपयोग हुआ या नहीं इसकी सुधि लेने नेता कभी नहीं आते और इसी का नतीजा है कि बस्ती में भी 2003 में तत्कालीन राज्यसभा सांसद रामनाथ कोविंद अपनी राज्यसभा निधि से साढ़े तीन रुपए खर्च कर गांव के गरीब परिवार के लोगों के लिए एक बारात घर का निर्माण करवाया था लेकिन निर्माण से आज 17 साल बीत जाने के बाद ही एक भी परिवार का सदस्य इस बारात घर का उपयोग नहीं कर सका क्यों किया प्रयोग में आने लायक है ही नहीं, बारात घर की तरफ जाने के लिए रास्ता का निर्माण तक नहीं कराया गया और तो और पूरा बारात घर आज जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच गया है। खिड़की दरवाजे फर्स से लेकर दीवाल तक अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, इस बारात घर में एक भी चीज सही सलामत नहीं बची है, यू कहे कि राज्यसभा सांसद की निधि यहां पर पूरी तरीके से बंटाधार हो गया।
इस गांव के लोगों ने बताया कि 2003 में जब कानपुर के राज्यसभा सांसद अचानक यहां पहुंचे और बारात घर के लिए भूमि पूजन शुरू किया तो गांव के लोगों में एक उम्मीद जगी कि गरीब परिवार के बेटे बेटियों की शादी अब इस बारात घर के माध्यम से हो जाएगी, धीरे-धीरे निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन बरात घर का निर्माण अधूरा छोड़कर ठेकेदार भाग खड़े हुए और तब से आज 17 साल बीतने को है इस बारात घर को कोई पूछने वाला तक नहीं है।
अब सवाल ये उठता है कि जब देश के राष्ट्रपति और तत्कालीन राज्यसभा सांसद के निधि का यह हाल है तो अन्य जनप्रतिनिधियों के निधियों का पैसा कितना जनता के हित के लिए प्रयोग में होता होगा इसका जवाब समझना मुश्किल नहीं है। नेताजी आते हैं फोटो खिंचवाते हैं और अपनी निधि से धन देकर चले जाते हैं लेकिन आखिर क्यों वे अपनी निधि से खर्च हुए उस विकास को नहीं देखते जिसे करने में आए थे।
विकास भवन के असिस्टेंट इंजीनियर प्रदीप सिंह ने हमें बताया कि यूपी निर्माण कारपोरेशन लिमिटेड नाम की एक संस्था ने 2003 में इस बारात घर का निर्माण राज्यसभा निधि से मिले धन से कराया था लेकिन उसके बाद निर्माण हुए बारात घर की किसी ने भी मॉनिटरिंग नहीं की इसका नतीजा है क्या पूरी तरीके से खंडहर में तब्दील हो गया है, जिस संस्था ने इस बारात घर का निर्माण कराया था अब वह संस्था भी यूपी में खत्म कर दी गई है मतलब भ्रष्टाचार करने वाले ही अब अस्तित्व में नहीं है।