बाढ़ से ठंडे पड़े हैं गरीबों के चुल्हे और प्रशासन ने नदी में फेंकवा दिया लाखों का आलू-प्याज

  • 4 years ago
आजमगढ़। घाघरा की बाढ़ से सगड़ी तहसील क्षेत्र के दियारा में त्राहि-त्राहि मची है। फसले बर्बाद हो चुकी है। आर्थिक तंगी के कारण तमाम गरीबों के घरों के चूल्हे ठंडे पड़े हैं लेेकिन प्रशासन बाढ़ राहत के लिए बनवाएं गए पैकेट को गरीबों में वितरित करने के बजाय सड़ाकर नदी में फेंक रहा है। बड़ी संख्या में पैकेट तो नदी की धारा विलीन हो गया लेकिन सैकड़ों पैकेट आज भी बंधे के किनारे पड़े है। वैसे प्रशासन का दावा है कि यह पैकेट उनका नहीं बल्कि दुकानदारों का है जबकि पैकेट खुद गवाही दे रहे हैं कि वे सरकारी हैं।
बता दें कि सगड़ी तहसील क्षेत्र से गुजरी घाघरा नदी पिछले दो माह से कहर बरपा रही है। कई घर व स्कूल की बाउंड्री नदी की धारा में विलीन हो चुके है। दियारा क्षेत्र के 180 गांव के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। बाढ़ के पानी में डूबकर फसलें बर्बाद हो गयी है। प्रशासन की लापरवाही से 2 अगस्त को बदरहुआ नाले के पास बना रिंग बांध टूट गया था। इससे लोगों को भारी क्षति हुई फिर भी प्रशासन नहीं चेता और परिणाम रहा कि एक सप्ताह पर्व गांगेपुर के पास रिंग बंधा टूट गया। जिसके कारण क्षेत्र के लोगों की समस्या और बढ़ गयी है। इसके बाद भी प्रशासन नहीं चेत रहा है।
अब नया मामला बाढ़ राहत सामाग्री के फेंकने का सामने आया है। क्षेत्र के लोग आर्थिक तंगी के करण दैनिक उपयोग की वस्तुओं को नहीं खरीद पर रहे है। बड़े संख्या में परिवारों के लिए नमक रोटी का जुगाड़ भी नहीं हो पा रहा है। कोटेदार द्वारा खाद्यान्न न देने का मुद्दा योगी सरकार के मंत्री के सामने भी उठ चुका है लेकिन राहत सामाग्री गरीबों तक नहीं पहुचायी जा रही है। प्रशासन द्वारा बांटने के लिए भेजी गयी राहत सामाग्री को कर्मचारियों ने रखकर सड़ा दिया। चार दिन पहले भारी मात्रा में आलू प्याज का पैकट घाघरा नदी में फेंक दिया गया। कई कुंतल आलू और प्याज बेलहिया ढाले के पास बंधे के किनारे लगकर सड़ रहा है। लोगों ने इसकी शिकायत भी की लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।
क्षेत्र के संतोष यादव, अक्षयवर प्रसाद, सुरेश राम, रामधारी आदि का कहना है कि प्रशासन बाढ़ के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। अगर गंभीर होता तो दो जगह बंधा नहीं टूटता और ना ही लाखों रूपये का आलू प्याज नहीं सड़ता। अगर यह आलू प्याज गरीबों को मिली होती तो उनके घर फांके नहीं होते। इस मामले में तहसीलदार सगड़ी विजेंद्र उपाध्याय का कहना है कि बंधे के पास फेंका गया आलू प्याज का पैकेट सरकारी नहीं है। यह सड़ने के बाद दुकानदारों द्वारा फेका गया है। हमारी राहत समाग्री लोगों तक पहुंच रही है।

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