खाद घोटाले में मुख्यमंत्री के भाई के ठिकानों पर ईडी के छापे
  • 4 years ago
खाद घोटाले में मुख्यमंत्री के भाई के ठिकानों पर ईडी के छापे
- पावटा चौराहा स्थित खाद बीज दुकान व मण्डोर क्षेत्र स्थित मकान में जांच
- सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के हथियारबंद जवान रहे तैनात
जोधपुर.
तेरह साल पुराने फर्टिलाइजर यानि खाद घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर दबिश देकर जांच की। मण्डोर स्थित मकान व पावटा चौराहा स्थित खाद बीज की दुकान में देर रात तक कार्रवाई चली।

सूत्रों के अनुसार वर्ष २००७ से २००९ के बीच फर्टिलाइजर घोटाला हुआ था। यह खाद किसानों के लाभ के लिए कम दर पर दिया जाना था, लेकिन कई निजी कम्पनियों के शामिल होने से घोटाला किया गया था। इस संबंध में दस्तावेजों की जांच के संबंध में ईडी की दो अलग-अलग टीमें बुधवार सुबह जयपुर से जोधपुर पहुंची। कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते पीपीई किट पहने ईडी टीम ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के हथियारबंद अधिकारी व जवानों के साथ सुबह सात बजे मण्डोर क्षेत्र स्थित मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत के मकान पर दबिश दी। घर के बाहर सीआरपीएफ के हथियारबंद जवान तैनात कर दिए गए। किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। न ही किसी को बाहर आने की छूट दी गई।
वहीं, ईडी की एक अन्य टीम ने सीआरपीएफ के अन्य अधिकारी व जवानों के साथ पावटा चौराहे के पास स्थित सीएम के भाई की खाद बीज की दुकान मै.अनुपम कृषि को घेर लिया। दुकान बंद होने से ईडी के अधिकारी और कर्मचारी व सुरक्षाकर्मी बाहर खड़े हो गए। सुबह ग्यारह बजे दुकान के खुलते ही ईडी की टीम अंदर दाखिल हुई। दुकान के बाहर हथियारबंद सीआरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए। देर रात तक दस्तावेजों की जांच चल रही थी।

गौरतलब है कि फर्टिलाइजर के घोटाले में ईडी अग्रसेन गहलोत की संदिग्ध भूमिका मान रही है। वर्ष २००७ से २००९ के बीच केन्द्र सरकार की पोटाश कम्पनी से एमओपी खरीदकर किसानों को बेचने की बजाय यह खाद उन लोगों को बेच दिया गया था जिन्होंने एमओपी का निर्यात कर रुपए कमाए थे। इस संबंध में सीएम के भाई की मध्यस्थ की भूमिका बताई जाती थी। वे सब्सिडी वाले आयातित एमओपी के संरक्षक थे। उन्हें पता था कि यह किसानों के अलावा किसी अन्य को बेचा नहीं जा सकता है। इस संबंध में दस्तावेजों में गड़बड़ी कर यह दर्शाया गया था कि खाद किसानों को ही बेची जा रही है। जबकि इसके बेचान में गड़बड़ी की गई थी। एमओपी का निर्यात किया गया था।
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