श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना

  • 4 years ago
श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना
प्रदेश के ८०० से अधिक स्थानों पर दिया गया धरना
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध देश के सभी महासंघों और केंद्रीय संगठनों का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों एवं सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ, भारत बचाओ को लेकर दिया गया। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री दीनानाथ रूंथला ने बताया कि यह सांकेतिक धरना राज्य के सभी जिला मुख्यालयों एवं केंद्र सरकार के सभी संगठनों के द्वारा जिला, खण्ड और इकाई स्तर पर दिया गया। प्रदेश के ८०० से अधिक स्थानों पर धरना देकर सरकार को यह संदेश दिया गया कि यदि सरकार के रवैये और श्रम विरोधी नीतियों में परिवर्तन नहीं हुआ तो आने वाले समय में सरकार को भयंकर परिणाम भुगतने पडेंग़े। यदि सरकार ने प्राइवेटाइजेशन की नीति को वापस नहीं लिया तो आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन धरना भी दिया जाएगा।
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी विकास तिवाड़ी ने बताया कि यह धरना राजस्थान में कोल और माइन्स, डाक विभाग, सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों, बीएसएनएल, आटीआई, रेलवे, बीमा, इस्पात, रक्षा, एमईएस सहित 15 महासंघों के प्रतिनिधियों की ओर से दिया गया। उन्होंने कहा कि यह धरना मुख्यरूप से केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण और विनिवेश, प्रतिरक्षा क्षेत्र का निगमीकरण, सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री, एफडीआई कैप बढ़ावा, बैंकों, बीमा, सार्वजनिक उपक्रमों का विलय, कोयला क्षेत्र का व्यावसायीकरण, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन के सरकार के फैसले के विरोध में किया जा रहा है।
दीनानाथ रूंथला ने कहा कि सरकार ने निजी क्षेत्रों से अपील की कि वे छंटनी न करें या मजदूरी के भुगतान में कटौती न करें लेकिन निजी क्षेत्रों ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि वे अपनी मानवीय जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए व्यवसाय में नहीं हैं य उनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना है और वहीं रहेगा। इसके विपरीत, सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रारंभ करने और काम करने का उद्देश्य देश की सेवा करना है।

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