MAA# MAA# SAMAST MATRATVA KO SALAAM# BHARAT BHOOMI KO NAMAN # POEM # वीणा की वाणी #

  • 4 years ago
MAA-POEM
PLEASE SHARE YOUR VIEWS
sharmaveena9999@gmail.com, वीणा की वाणी
अपने सभी दर्शकों का अभिनंदन करती हूँ एवं आज अपनी इस कविता के माध्यम से भारत देश की भूमि को नमन करती हूँ। जब से हमारा जीवन इस धरती पर शुरू होता है उस दिन से एक माँ का भी जन्म होता है , हम रहें न रहें वह फिर भी हमारी माता के नाम से ही जानी जाती है। इसलिए माता के लिए अपनी भावनाएं प्रेषित करने के लिए कोई एक विशेष दिन नहीं बल्कि हमारे जीवन का प्रत्येक दिन उसे समर्पित है।
मैं आज अपनी इस रचना के माध्यम से संसार के समस्त मातृत्व भाव को हृदय से नमन करती हूँ । आपको एक बात और कहना चाहती हूँ कि बालकों का मन भी कितना निश्छल होता है इसका प्रमाण आपको मैं उन दो बच्चों के असीम प्यार का परिचय देकर देती हूँ। मेरे दो सब्सका्रइबर है जो 10 और 13 साल के हैं जिनमें फरहान सबसे पहला है और वो कक्षा 8 में है। उसका प्रेम देखिए कि वो मेरे सारे वीडियो देखता है जबकि एक भी वीडियो उसके काम का नहीं है। वहीं अरीबा जो 10 साल की है वो भी अपने असीम प्रेमभाव से मुझे कृतज्ञ बना रही है।ं मैं आप दोनों के प्रेम की ऋणी हूँ और ईश्वर से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आपको हृदय से धन्यवाद देती हूँ।
कविता आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ -आपको जैसी भी लगे अच्छी या बुरी उसे कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताइएगा।

माँ
एक औरत जब इस दुनिया में माँ बन जाती है
कहते हैं उसके कदमों तले जन्नत आ जाती है।

माँ ही वो हस्ती है जो राम और रहीम को जन्म देती है,
माँ की अज़मत इससे बढ़कर और क्या हो सकती है।

हम हँसे , हमारे साथ हँसे; हम रोए तो वो घबराती है,
बच्चों की किलकारी सुन मंद -मंद मुसकाती है।

दुआ दवा जब काम करे ना, तब नज़र उतारा करती है,
माँ की ममता , माँ की जान; उसके बच्चों में बस जाती है।

सौ बार अगर मैं रूठू , हर बार मुझे वो मनाती है,
बुरी नज़र ना लगे मुझे, वो काला टीका लगाती है।

अच्छे काम से बाहर निकलूँ , मिश्री-दही खिलाती है,
अपने बच्चों के लिए सदा शुभ शगुन बन जाती है।

उँगली थाम कर अपनी जब वो चलना हमें सिखाती है,
कदम जब डगमग हो जाएं, बाँहों को फैलाती है।

हम चैन से सो जाएं, वो नींदें अपनी वारा करती है,
हमें सूखे बिछौने में सुला वो खुद गीले में सो जाती है।

अगर करें जो जिद तो मीठे सुर में लोरी गाती है,
हम खुश हो जाएं , चाँद को मामा बताती है।

उसकी प्यारी झिड़की में ममता की खुशबू आती है,
हमारे लबों पर अक्षर सजा , पहली गुरू बन जाती है।

आँच अगर जो मुझ पर आए, महाकाली दुर्गा बन जाती है,
बाँध पीठ पर अपने लाल को दोनों धर्म निभाती है।

भगवान नहीं मिल सकता सबको , और न वह मातृत्व भाव दे सकता है,
प्यार करो सम्मान करो , उसने माँ को खुद के रूप में भेजा हैैै।

माता का अपमान करो तो ईश्वर नहीं कभी मिल सकता है,
इस लोक के परे तीनों लोक में मुक्ति के लिए भटकता है।

घर में बैठी माँ को पूजो पहले, देवों के दर्शन मिल सकते हैं
यही सत्कर्म हैं हमारे जो मुक्ति के साधन बन जाते हैं।

देख फरहान, अरीबा का भोलापन , ये वीणा जग को बतलाती है,
जिसके तुम जैसे हों बेटा-बेटी हों, धन्य माँ वो हो जाती है।

कोटि -कोटि नमन तुम्हें है, हे! भारत की भूमि,
उऋण कभी न हो सकती मैं, तेरे पावन प्रेम से ;
इतना संुदर जीवन पाया, माँ की गोद-वरदान से
धन्य हुई ये जीवन गंगा, तेरे अविरल बलिदान से
तेरे अविरल बलिदान से
तेर अविरल बलिदान से।।
veena ki vaani is there--- https://dailymotion.com/ dm_649b5ead7def619974a041db6f048652 https://www.facebook.c

Recommended