गरीबों के हाथ में पैसा दे सरकार— अभि​जीत बनर्जी

  • 4 years ago

देश की अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए सरकार को देश की बड़ी आबादी के हाथ में पैसा देना होगा। यह कहना है नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की ओर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर सुझाव मांगे। इस पर बनर्जी ने कई सुझाव साझा किया। उनका कहना है कि हर गरीब, जरूरतमंद को सरकार प्रोत्साहन राशि दे। गरीबों के हाथ में पैसा देने में कोई बुराई नहीं है। इससे बाजार में मांग भी बढ़ेगी और ठहरी अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक पुश मिलेगा। साथ ही इस संकट के समय में देश के हर नागरिक के पास अस्थायी राशन कार्ड होना चाहिए। ताकि कोई भूखा न रहे। कोई भूखा सोता है तो यकीन जानिए, यह भूख देश के लिए बड़े संकट की तरह होती है।
बनर्जी ने कहा कि सरकार को अमरीका और दूसरे देशों से सीख लेते हुए इस महामारी के समय गरीबों के लिए बड़े प्रोत्साहन पैकेज की योजना बनानी होगी। तभी पैसा बाजार तक पहुंचेगा और बाजार में तेजी आ सकेगी।
वहीं राहुल गांधी ने अभिजीत बनर्जी से यह भी पूछा कि क्या ‘न्याय’ की योजना की तर्ज पर लोगों को पैसे दिए जा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि ऐसा होना अनिवार्य माना जाना चाहिए।
न्याय या किसी भी योजना के तहत सरकार निचले तबके की 60 फीसदी आबादी के हाथों में कुछ पैसे देते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यह एक तरह का प्रोत्साहन ही होगा। इस लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते उनका हक भी बनता है।
बनर्जी ने कहा कि ऐसे आपदा के समय में भी लोग राशनकार्ड के लिए भटक रहे हैं। ऐसे में जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें कम से कम तीन महीने के लिए अस्थायी राशन कार्ड जारी कर दिए जाएं ताकि उन्हें अनाज मिल सके। किसे मिलना चाहिए और किसे नहीं, यह सोचने का समय अभी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंद तक पैसे पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार यह सोच रही है कि मजबूत लोग इस महामारी का सामना कर सकते हैं तो उसे अमरीका और ब्राजील से सीख लेनी चाहिए। लॉकडाउन से मजदूर ही नहीं मध्यम वर्ग भी संकट में है, अर्थव्यवस्था संकट में है, देश संकट में है। इससे निपटने का एक ही उपाय है अभी कि सरकार सरकारी खजाना गरीबों के लिए खोल दे। आपको बता दें इससे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी सरकार को 65 हजार करोड़ रुपए गरीबों पर खर्च करने की सलाह दे चुके हैं।

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