Harivansh Puran 29 | हरिवंश पुराण कथा : वंश परम्परा को आगे बढ़ाने वाला है

  • 4 years ago
श्री हरिवंश पुराण महात्म्य



मानव जीवन के लिये उपयोगी इस ग्रन्थ का पाठ करने से पूर्व महर्षि वेद व्यास भगवान श्रीकृ,ण, पाण्डुपुत्र अर्जुन एवं ज्ञान की देवी सरस्वती का ध्यान करे ।

सनातन धर्म के रचियता महर्षि वेद व्यास जिन्होंने इस पुराण की कथा क वर्णन किया, उनके चरण कमलों में सादर वन्दन । अज्ञान के तिमिर में यह प्रकाश ज्योतिरुप सबका कल्याण करे । मैं उन गुरुदेव को नमस्कार करता हूँ । यह अखण्ड मंगलाकार चराचर विश्व जिस परमपिता परमात्मा से व्याप्त है । मैं उनके नमस्कार करता हूँ । उनका साक्षात दर्शन कराने वाले गुरुदेव को नमस्कार करता हूँ । ज्ञानियों ने हरिवंश पुराण को ब्रहृ, विष्णु, शिव का रुप कहा है । यह सनातन शब्द ब्रहमय है । इसका पारायण करने वाला मोक्ष प्राप्त करता है । जैसे सूर्योदय के होने प अन्धकार का नाश हो जाता है, इसी प्रकार हरिवंश के पठन पाठन, क्षवण से मन, वाणी और देह द्घावरा किये गए सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाते है । जो फल अठारह पुराणों के क्षवण से प्राप्त होता है, उतना फल विष्णु भक्त को हरिवंस पुराण के सुनने से मिलता है, इसमें संदेह नहीं है । इसे पढ़ने और सुनने वाले स्त्री, पुरुष, बालक, विष्णुधाम प्राप्त करते है ।

पुत्रांकाक्षी स्त्री-पुरुष इसे अवश्य सुने ।

विधिपूर्वक हरिवंश पुराण का पठन-पाठन, सन्तान गोपाल स्तोत्र का एकवर्षीय पाठ अवश्य पुत्ररत्न प्रदान करता है ।

जो पुरुष या स्त्री चन्द्रमा, सूर्य, गुरु, गुरुधाम, अग्नि की ओर मुख करके मलमूत्र त्याग करता है वह नपुंसक, बांझ होता है । अकारण फल-फूल तोड़ने वाला, सन्तान क्षय को प्राप्त होता है । परस्त्री गमन, बिना पत्नी बनाये क्वांरी कन्या का शीलहरण करने वाला वृद्घावस्था में घोर दुःख पाता है । व्यभिचारिणी स्त्री बुढ़ापे में गल-गलकर मरती है । निन्दनीय र घृणित कर्मी महाशोक को प्राप्त होता है । अतएव श्री हरिवंश पुराण का पारायण कर वह अपना दुख हल्का कर सकता है । हरिवंश पुराण के श्रवण, पाठने से वह दोष दूर हो सकता है ।


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