भीतरी ताकत पैदा करके ही बाहरी लड़ाई में उतरना || आचार्य प्रशांत, बाइबिल पर (2019)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:
हार्दिक उल्लास शिविर, 21.12.19, गोआ, भारत

प्रसंग:
‘‘‘जीसस ने उन्‍हें एक और दृष्‍टान्‍त दिया कि स्‍वर्ग का राज्‍य उस मनुष्‍य के समान है जिसने अपने खेत में अच्‍छा बीज बोया। पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूँ के बीच जंगली बीज बोकर चला गया। जब अंकुर निकले और बालें लगीं, तो जंगली दाने भी दिखाई दिए।इस पर गृहस्‍थ के दासों ने आकर उससे कहा, हे स्‍वामी, क्‍या तूने अपने खेत में अच्‍छा बीज न बोया था? फिर जंगली दाने के पौधे उस में कहाँ से आए? उसने उनसे कहा, यह किसी बैरी का काम है।
दासों ने उससे कहा, क्‍या तेरी इच्‍छा है कि हम जाकर उनको बटोर लें? उसने कहा, ऐसा नहीं हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ लो। कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूंगा; पहले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिए उन के गट्ठे बाँध लो, और गेहूँ को मेरे खेत में इकट्ठा करो।’’
~पवित्र बाइबिल (मत्ती 13:24-30)

प्रसंग:
~ भीतरी ताकत कैसे जुटाएँ?
~ दुर्गुणों को दूर करना क्यों ज़रुरी है?
~ भीतरी लड़ाई का क्या अर्थ होता है?

संगीत: मिलिंद दाते