हिन्दुस्तानी दूल्हे का जर्मनी की दुल्हन से विवाह

  • 4 years ago
विदिशा (प्रमोद साहू). सांची में हिन्दुस्तानी दूल्हा और जर्मनी की दुल्हन शादी के बंधन में बंधे। विवाह के दौरान भारतीय परंपरा के मुताबिक 7 फेरों की प्रक्रिया 4 घंटे में पूरी हुई। चार भाषाओं ( संस्कृत, हिन्दी, जर्मन, अंग्रजी ) में मंत्रों का अनुवाद कर सात फेरों की परम्परा का वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया।



सिरोंज के भौरिया गांव में रहने वाले शिक्षक चोखेलाल भावसार के वैज्ञानिक बेटे बृजकिशोर का विवाह जर्मनी के बर्लिन में रहने वाली विक्टोरिया लुइसा फ्राइन मर्सन वॉन बीबर्सटांइन (विलू) से हुआ है। बृजकिशोर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में साइंटिस्ट हैं।



सोमवार को होटल संबोधि में हुए आशीर्वाद समारोह में विदेशी मेहमानों ने सिरोंज के लोगों से भी मुलाकात कर अपनी खुशी जाहिर की। पंडित प्रद्युम्न शर्मा द्वारा किए जा रहे मंत्रोच्चारण का पश्चिम बंगाल से आए सिड मल्होत्रा ने जर्मन और यूएसए से आए आशीष यादव ने अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया।



फेरो की शुरुआत में वर को आम्र का हैत्र पिलाने की वजह पूछने पर बताया गया कि यह कितना अधिक पुष्टिकारक होता है। इसी तरह रात 12 बजे नवयुगल को ध्रुव तारे के दर्शन की प्रक्रिया के दौरान उन्हें बताया गया कि अब ईश्वर इस विवाह का साक्षी बन गया है। जिस तरह से ध्रुव ने सिर्फ 7 वर्ष की अवस्था में समाज में सम्मानजनक स्थान हासिल किया था। नवयुगल भी अपने सामर्थ्य के दम पर समाज में ऐसा ही सम्मानजनक स्थान हासिल करे। 



जर्मनी में रहने वाले विलू के रिश्तेदारों के साथ ही अमेरिका, स्विटजरलैंड, स्पेन, इटली और आस्ट्रेलिया से भी मेहमान आए थे। जर्मनी से दुल्हन के साथ आए परिजनों ने विवाह की सभी रस्में पूरी की। रविवार और सोमवार को हुई शादी के दौरान हल्दी और आशीर्वाद रस्मों में भाग लिया। 

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