ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया || आचार्य प्रशांत: ये बहार ये समां कह रहे हैं प्यार कर

  • 4 years ago
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शब्दयोग सत्संग
१९ जून, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा

गीत: ये ज़िंदगी उसी की है

ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया

प्यार ही में खो गया, ये ज़िंदगी …

ये बहार, ये समा, कह रहा है प्यार कर

किसी की आरज़ू में अपने दिल को बेक़रार कर

ज़िंदगी है बेवफ़ा…

ज़िंदगी है बेवफ़ा, लूट प्यार का मज़ा

ये ज़िंदगी …

धड़क रहा है दिल तो क्या, दिल की धड़कनें ना सुन

फिर कहां ये फ़ुर्सतें, फिर कहाँ ये रात-दिन

आ रही है ये सदा…

आ रही है ये सदा, मस्तियों में झूम जा

ये ज़िंदगी …

दो दिल यहाँ न मिल सके, मिलेंगे उस जहान में

खिलेंगे हसरतों के फूल, मौत के आस्मान में

ये ज़िंदगी चली गई जो प्यार में तो क्या हुआ

ये ज़िंदगी …

सुना रही है दास्तां, शमा मेरे मज़ार की

फ़िज़ा में भी खिली रही, ये कली अनार की

इसे मज़ार मत कहो, ये महल है प्यार का

ये ज़िंदगी …

ऐ ज़िंदगी की शाम आ, तुझे गले लगाऊं मैं

तुझी में डूब जाऊं मैं

जहाँ को भूल जाऊं मैं

बस एक नज़र मेरे सनम, अल्विदा, अल्विदा

अल्विदा … अल्विदा …

अल्विदा … अल्विदा …

गीत: ये ज़िंदगी उसी की है
फ़िल्म: अनारकली (१९५३)
बोल: राजेंद्र कृष्ण
संगीतकार: लता मंगेशकर


संगीत: मिलिंद दाते