झूठी आज़ादी, झूठी वैयक्तिकता || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
२० अक्टूबर २०१४
ए.के.जी.ई.सी, ग़ाज़ियाबाद

प्रसंग:
आचार्य जी, मै आपको ही क्यों सुनूँ?
आपके ही लेख क्यों पढूँ?
क्या इससे मेरी वैयक्तिकता छिन नहीं जाएगी?
वैयक्तिकता का क्या अर्थ हैं?
झूठी वैयक्तिकता माने क्या?
मै अपना कुछ कैसे करें?
आज़ादी माने क्या?

संगीत: मिलिंद दाते