जीवन में दोहराव क्यों? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)
- 5 years ago
वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
२५ अक्टूबर, २०१३
एच.आई.ई,टी, ग़ाज़ियाबाद
प्रसंग:
जीवन में दोहराव बहुत है , क्या इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है?
परिस्थिति को कैसे जबाब दे?
जीवन में जो हो रहा है उसको कैसे जाने?
अपने को कैसे समझे?
जीवन में नया कैसे लाये?
संवाद सत्र
२५ अक्टूबर, २०१३
एच.आई.ई,टी, ग़ाज़ियाबाद
प्रसंग:
जीवन में दोहराव बहुत है , क्या इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है?
परिस्थिति को कैसे जबाब दे?
जीवन में जो हो रहा है उसको कैसे जाने?
अपने को कैसे समझे?
जीवन में नया कैसे लाये?