सपना जितना आकर्षक, उससे उठना उतना ही मुश्किल || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)
- 4 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१४ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
मन हीं मनोरथ छाड़ि दे, तेरा किया न होई ।
पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई ॥
प्रसंग:
सपना जितना आकर्षक, उससे उठना उतना ही मुश्किल
मन आकर्षक के पीछे क्यों भागता है?
कर्म करने के बाद पाश्चाताप क्यों?
कर्ताभाव का त्याग कैसे करे?
शब्दयोग सत्संग
१४ जनवरी २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
मन हीं मनोरथ छाड़ि दे, तेरा किया न होई ।
पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई ॥
प्रसंग:
सपना जितना आकर्षक, उससे उठना उतना ही मुश्किल
मन आकर्षक के पीछे क्यों भागता है?
कर्म करने के बाद पाश्चाताप क्यों?
कर्ताभाव का त्याग कैसे करे?