दुःख को ध्यानपूर्वक देखने का अर्थ? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
८ मई २०१३
आई.टी.एम, गुरुग्राम

प्रसंग:
दुःखो को ध्यानपूर्वक देखने का क्या अर्थ है?
क्या जब दुःख आये तो उसे महसूस नहीं करे/ अवहेलना कर दें?
दुःख आती क्यों है?
दुःख से हमेशा के लिए कैसे मुक्त हों?
क्या दुःख के बाद भी कुछ ऐसा बिंदु होता है जो शांत रहता है?