तुम ही कुरुक्षेत्र, तुममें ही महायुद्ध, तुममें ही श्रीकृष्ण || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
20 जुलाई 2019
अद्वैत बोधस्थल ,ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 32)

यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम् |
सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम् ||

भावार्थ:

हे पार्थ ! अपने-आप प्राप्त हुए और खुले हुए
स्वर्ग के द्वार रूप इस प्रकार के युद्ध को
भाग्यवान् क्षत्रिय लोग ही पाते है ।।
___

क्षत्रिय धर्म असल में क्या है?
श्रीकृष्ण अर्जुन को क्षत्रिय धर्म की बात क्यों बताते हैं?
श्रीकृष्ण अर्जुन को स्वर्ग का मोह क्यों देते हैं?

संगीत: मिलिंद दाते
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