दो ध्रुवों के मध्य भटकता रहता है मन || आचार्य प्रशांत (2015)
- 5 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१८ अक्टूबर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
मन दो ध्रुवों के मध्य क्यों भटकता रहता है?
जीवन में कुछ समय बहुत अच्छा पता हूँ कुछ समय बहुत ऊब क्यों लगता है?
जीवन में स्थिरता कैसे लाये?
शब्दयोग सत्संग
१८ अक्टूबर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
मन दो ध्रुवों के मध्य क्यों भटकता रहता है?
जीवन में कुछ समय बहुत अच्छा पता हूँ कुछ समय बहुत ऊब क्यों लगता है?
जीवन में स्थिरता कैसे लाये?