षोडशोपचार - पूजा का विधिवत तरीका | अर्था । आध्यात्मिक विचार
  • 5 years ago
हिंदुओं में पूजा के कई रूप हैं, जिन में से पूजा का एक रूप अधिक लोकप्रिय है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस पूजा को विधिवत रूप से करने का वास्तविक तरीका क्या है?

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१ षोडशोपचार या षोडस उपचार पुजन की रीति-रिवाजों को करने की प्रक्रिया है जिसमें कुल मिलाकर सोलह सेवा शामिल हैं
२ यह सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत पूजन पद्धिति है और हिन्दू मंदिरों में और घरों में होने वाले यज्ञों में जिसका पालन किया जाता है
३ ध्यान-चिंतन द्वारा भगवान का स्मरण करना और हमारे शरीर एवं दिमाग को भगवान से जोड़ना ध्यान है.
४ आवाहन -भगवान को सम्मान से देवस्थान में बुलाने को आवाहन कहते हैं.
५ आसन-भगवान से विनती है कि वो उस आसन को स्वीकारें जो उन्हें वेदी में प्रस्तुत की गयी है
६ पाद्य-साफ़ पानी और पवित्र पत्तों को डालते हुए भगवान के चरणों को धोना पाद्य है
७ अर्घ्य -हाथों और चेहरे को धोने के लिए पानी अर्पण करना अर्घ्य कहलाता है
८ आचमन -आचमन एक विधि है जिस में भगवान को जल अर्पित किया जाता है और उसे खुद भी पिया जाता है
९ स्नान -स्नान का अर्थ है भगवान को विविध शुभ वस्तुओं जिन में शामिल हैं तेल, दूध और सभी से स्नान कराना है
१० वस्त्र -वस्त्र अर्थात भगवान को कपड़े और गहने पहना कर संवारना
११ यग्नोपवीता या यज्नोपविता-यग्नोपवीता या यज्नोपविता में शामिल है जनेऊ ( पवित्र धागा ) और अक्षत ( बिना टूटे हुए चावल के दाने ) भगवान को समर्पित किये जाते हैं.
१२ गंध -गंध अर्थात भगवान पर ताज़ा चन्दन लगाना
१३ पुष्प -अर्थात भगवान के नामों का जाप करते हुए ताज़ा फूलों को चढ़ाना
१४ धुप-धुप उसे कहते हैं जब सम्पूर्ण वेदी पर सुगंधित धुआं फैलाया जाता है और भगवान के सामने दिया जलाया जाता है.
१५ नैवेद्य-नैवेद्य माने प्रसाद के रूप में अर्पण किया गया भोजन और ताम्बुल में सुपारी और पवित्र पत्तों को अर्पित किया जाता है.
१६ प्रदक्षिणा-प्रदक्षिणा या नमस्कार जहां भक्त या पुजारी भगवान की स्तुति करते हुए वेदी के चारों ओर चलता है, परिक्रमा करता है।
१७ पुष्पांजली या नीरजनम-पुष्पांजली या नीरजनम अंतिम चरण है जहां देवताओं को फूल और अंतिम प्रार्थना की पेशकश की जाती है। कुछ लोग इसे आरती के रूप में भी कहते हैं, जहां सभी मंत्र और स्तोत्रों को गाते हैं
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