गुण - मानव प्रकृति की तीन परतें | अर्था । आध्यात्मिक विचार

  • 5 years ago
गुण एक रस्सी की तरह है जो सभी तत्वों को बांधती है और उन्हें सही नियंत्रण में रखती है. ये लौकिक गुण ब्रह्मांड के भ्रम को काबू में रखते हैं और हर एक को व्यक्तिगत रूप से इन गुणों द्वारा कदम दर कदम चढ़कर ऊंचाई तक पहुंचना होता है. देखिये यह विडियो और जानिए गुणों के बारें में

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१ गुण शब्द अलग अलग अर्थों के लिए जाना जाता है जिन में शामिल हैं तार, योग्यता, विशेषता, लक्षण, उत्तरदायित्व या अधिकार

२ मूलतः समाख्या - तत्वज्ञान से आरंभित हिन्दू तत्वज्ञान के विभिन्न स्कूलों में गुण अब मुख्य सिद्धांत है

३ नाम स्वरुप तीन गुण हैं; सत्व (अच्छाई , रचनात्मक , विशुद्ध ) रजस ( जुनून , सक्रीय , भ्रमित ) और तमस ( अँधेरा , विनाशक , अस्त-व्यस्त , अज्ञान )

४ हिन्दू मानते हैं कि ये तीन गुण हर एक व्यक्ति और हर वस्तु में होते हैं मगर अलग अलग मात्रा में

५ इन गुणों की परस्पर क्रिया किसी व्यक्ति या वस्तु के चरित्र को परिभाषित करती है और जीवन की प्रगति को निर्धारित करती है

६ इन गुणों के बीच के रिश्ते, चरित्र और प्रकृति को परिभाषित करते हैं और इसी पर किसी के जीवन की प्रगति निर्भर होती है

७ कुछ परिस्तिथियों में, यह समुदाय, प्रजाति, करुणा, गुणवत्ता 'का प्रतीक है, या किसी व्यक्ति या वस्तु का संचालन सिद्धांत या प्रवृत्ति

८ मानव व्यवहार अध्ययन में, गुण..... मानव मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण, व्यक्तित्व, और निहित प्रकृति के लिए जाना जाता है.

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