चिट फंड पीड़ितों के लिए धरना कब देंगी ममता बनर्जी? लोकसभा चुनाव से पहले बंगल का संग्राम देखिए

  • 5 years ago
तलाशने के लिए चिटफंड केस को तफ्सील से समझना पड़ेगा. दरअसल, शारदा चिटफंड घोटाला करीब 40 हजार करोड़ रुपये का है, जिसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल में जुलाई 2008 में शारदा ग्रुप के नाम से चिटफंड कंपनी बनाकर हुई थी. इस कंपनी के जरिए आम लोगों को ठगने के लिए लुभावने ऑफर दिए गए और करीब 10 लाख लोगों से पैसे लिए गए जिसमें पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा और असम के लोग भी शामिल थे.

शारदा ग्रुप ने आम लोगों को बॉन्ड्स में निवेश से 25 साल में रकम 34 गुना करने के ऑफर दिए. साथ ही आलू के कारोबार में निवेश के जरिए 15 महीने में रकम दोगुना करने का सब्जबाग दिखाया गया. महज चार सालों में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में 300 दफ्तर खोले गए. लेकिन जब लोगों को उनकी रकम लौटाने की बारी आई तो शारदा चिटफंड कंपनी के दफ्तरों पर ताला लगा मिला.

आरोप लगे कि शारदा चिटफंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन ने इस घोटाले के दौरान हर पार्टी के नेताओं से जान पहचान बढ़ाई. जिसकी वजह से इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा सका. लेकिन जब ये घोटाला खुला तो इसके लपेटे में ममता सरकार के कई मंत्री और सांसद आ गए.

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