केसरियों रंग रो पाग और मुछया मं ताव तो राजपूतां री आन बान शान है । और था लोगा न चोखा-चोखा गीता सूं अवगत करवाणों "वीणा" रो काम है ।ये गीत राजपूत संस्कृति का एक नया रूपांतरण है की कैसे नई पीढ़ी अपने नये रूप में केसरिया रंग जो कि वीरता का प्रतीक है उसका गुण गान कर रही है । गीत में गौरी ने अपनी मान मर्यादा के साथ -साथ ,बडी तहजीब से अपने प्रेम को साजन के कुर्ते के लाल रंग की तारीफ करते हुए बिखेरा है । प्रेम और संस्कारों का एक अनोखा संगम है "वीणा" का ये नया गीत । गीत को ज्यादा से ज्यादा सुने ओर अपने परिवार वालों और मित्रों के साथ शेयर करें|
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