LGBT rights II Section 377 Verdict II Homosexuality is no longer crime II समलैंगिकता अब अपराध नहीं, जानें फैसले पर लोगों की राय
  • 6 years ago
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गुरूवार को एकमत से 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध था।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे में रखने वाली धारा 377 के हिस्से को तर्कहीन, सरासर मनमाना और बचाव नहीं किये जाने वाला करार दिया।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।

https://www.livehindustan.com/national/story-homosexuality-this-part-of-section-377-of-158-year-old-indian-penal-code-has-been-canceled-by-supreme-court-2159728.html
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