आज से डेढ़ दशक पहले साढ़े पांच लाख करोड़ की रकम बहुत बड़ी थी। लेकिन फिर भी अगर आज पानी से होने वाली तबाही के सलाना आंकड़े को देखें तो ये उसका चार गुना ज्यादा ही है। और हर साल अगर 16 हजार करोड़ खर्च किया जाए तो ये बजट सलाना पानी से होने वाली तबाही के सलाना बजट का मात्र 10 गुना है। लेकिन कुछ नहीं हुआ । न होता दिख रहा है । दिख क्या रहा है सिर्फ हाहाकार । डूबकर मर गए तो डेढ़ लाख ले लो। ज्यादा मामला बढ़ गया तो 4 लाख ले लो । बस यही चल रहा है। लेकिन सवाल ये है कि कब तक हम मुद्दे से भागते रहेंगे। नीदरलैंड की हालत तीन दशक पहले हमसे भी बुरी थी। लेकिन उसने वाटर मैनेजमेंट पर जोरदार काम किया। सिंगापुर में पीने के पानी के लिए लाले पड़ते थे । अब वो दुनिया के नक्शे पर बेहतरीन जल प्रबंधन वाला मुल्क है। एक हम हैं कि मरते जा रहे हैं. खपते जा रहे हैं । आज ही यमुना में डूबकर दो बच्चे मरे हैं । दूर मत जाइए दिल्ली की कुछ ग्राउंड रिपोर्ट देखिए.
For More Information visit us: http://www.inkhabar.com/ Connect with us on Social platform at https://www.facebook.com/Inkhabar Connect with us on Social platform at https://twitter.com/Inkhabar Subscribe to our YouTube channel: https://www.youtube.com/user/itvnewsindia