बलिया में हुआ एतिहासिक लट्ठ पूजा का आयोजन, हिंदू मुस्लिम एकता का है प्रतीक
- 6 years ago
seminar araange in balia of woods worship, symbol of hindu and muslim unity
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा तहसील में ऐतिहासिक रोट (लट्ठ) पूजन का आयोजन किया गया। जहां हजारों लोगों ने श्री नाथ बाबा की जन्मस्थली पर लाठियों को लड़ाकर पूजन किया। गंगा यमुनी सभ्यता का प्रतीक यह पूजन अंग्रजों द्वारा जजिया कर के खिलाफ शुरू किया गया था।
लाठियों की चटकार और गूंजते नारों के बीच बलिया के ऐतिहासिक रोट पूजन का आयोजन रसड़ा तहसील के महाराज पुर के मठ पर किया गया। सिद्ध संत श्री नाथ बाबा की जन्मस्थली पर हजारों श्रद्धालुओं ने लाठियों का प्रदर्शन करते हुए रोट चढ़ाया। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि यह गंगा यमुनी सभ्यता का प्रतीक एक ऐसा आयोजन है जहां पहले रोशन साह की मजार की पूजा होती है फिर श्री नाथ बाबा को रोट चढ़ाया जाता है।
यहां के मठाधीश अवध बिहारी के अनुसार, सेंगर वंशियों के लिए यह पूजन खासा महत्व रखता है। दरसल आजादी के पूर्व अंग्रेजों द्वारा किसानों के शोषण के लिए जजिया कर लगाया गया था। उस दौरान रोशन शाह और श्रीनाथ बाबा मित्र हुआ करते थें। जिन्होंने लाठियों के बल पर जजिया कर का विरोध किया और किसानों को मुक्ती दिलाई। श्रीनाथ बाबा के 6 मठ हैं जहां हर 2 वर्ष बाद रोट पूजन का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने अपने गावों व घरों से लाठियां लेकर आते है।
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा तहसील में ऐतिहासिक रोट (लट्ठ) पूजन का आयोजन किया गया। जहां हजारों लोगों ने श्री नाथ बाबा की जन्मस्थली पर लाठियों को लड़ाकर पूजन किया। गंगा यमुनी सभ्यता का प्रतीक यह पूजन अंग्रजों द्वारा जजिया कर के खिलाफ शुरू किया गया था।
लाठियों की चटकार और गूंजते नारों के बीच बलिया के ऐतिहासिक रोट पूजन का आयोजन रसड़ा तहसील के महाराज पुर के मठ पर किया गया। सिद्ध संत श्री नाथ बाबा की जन्मस्थली पर हजारों श्रद्धालुओं ने लाठियों का प्रदर्शन करते हुए रोट चढ़ाया। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि यह गंगा यमुनी सभ्यता का प्रतीक एक ऐसा आयोजन है जहां पहले रोशन साह की मजार की पूजा होती है फिर श्री नाथ बाबा को रोट चढ़ाया जाता है।
यहां के मठाधीश अवध बिहारी के अनुसार, सेंगर वंशियों के लिए यह पूजन खासा महत्व रखता है। दरसल आजादी के पूर्व अंग्रेजों द्वारा किसानों के शोषण के लिए जजिया कर लगाया गया था। उस दौरान रोशन शाह और श्रीनाथ बाबा मित्र हुआ करते थें। जिन्होंने लाठियों के बल पर जजिया कर का विरोध किया और किसानों को मुक्ती दिलाई। श्रीनाथ बाबा के 6 मठ हैं जहां हर 2 वर्ष बाद रोट पूजन का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने अपने गावों व घरों से लाठियां लेकर आते है।