Sonia Gandhi से ये सबक जरूर सीखें Congress के New President Rahul Gandhi | वनइंडिया हिन्दी
  • 6 years ago
The countdown to Rahul Gandhi’s elevation as Congress president will also see the curtains coming down on Sonia Gandhi’s presidency. The 70-yr-old Gandhi’s uninterrupted 19-year stint at the helm of the 131-year-old Congress is a record. Rahul Gandhi Should learn from her mother sonia Gandhi. As her son takes over, most of the veterans have passed on and Team Sonia is ageing, leaving the eager but inexperienced Team Rahul the task of learning overnight the seniors’ skills.

एक लंबे सफर के बाद सोनिया गांधी राजनीति से रिटारमेंट लेती नजर आ रही है और कांग्रेस की थाती अपने पुत्र राहुल गांधी को सौंप रही है... 19 साल बाद सोनिया गांधी का कांग्रेस राज खत्म हो गया है और उनकी जगह उनके बेटे राहुल गांधी लेने जा रहे हैं... 132 साल पुरानी पार्टी में नेहरू-गांधी परिवार के छठे सदस्य हैं जो इस शीर्ष कुर्सी पर काबिज होने जा रहे हैं. राहुल गांधी की बतौर अध्यक्ष कांग्रेस की ताजपोशी ऐसे समय में हो रही है जब पार्टी के खुद के बहुत बुरे दिन चल रहे हैं. ऐसे में राहुल पर न सिर्फ पार्टी की पुरानी छवि लौटाने की जिम्मेदारी रहेगी बल्कि फिर से सत्ता में वापस लाने का दबाव भी रहेगा...राहुल को सबसे ज्यादा सबक लेने की जरूरत अपनी मां सोनिया गांधी से है... मां सोनिया को काफी पाबंद माना जाता है, हर चीज तय कार्यक्रम और सही वक्त पर देना जानती हैं, इसके उलट राहुल को थोड़ा लापरवाह माना जाता है और कई बार आखिरी पलों में बैठक में गच्चा देने के लिए जाना जाता है. सोनिया गांधी ने करीब आधी जिंदगी गुजारने के बाद राजनीति में कदम रखा, लेकिन खुद को एक संयमित राजनेता के तौर पर पेश किया. उनके बारे में माना जाता है कि वह कभी भी विरोधियों के प्रति मन में कोई खटास नहीं रखती. अलग राय रखने वालों से अलग से बात करने में यकीन रखती हैं. वहीं राहुल इन चीजों से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं, वह अपनी पसंद-नापसंद तुरंत जाहिर कर देते हैं... सोनिया बोलने के साथ-साथ सुनना भी जानती हैं. और सामने वाले की राय को भी अहमियत देती हैं, जबकि राहुल किसी भी विषय पर जरुरत से ज्यादा ध्यान नहीं देते और लंबी बहस से बचते रहते हैं. कई बार अहम मुद्दों पर बोलने से चूक जाते हैं जो कई बार पार्टी के लिहाज से उलटा भी पड़ा है. यूं तो मां सोनिया संसद में बहुत कम बोलती रही हैं, लेकिन वह सदन के कामकाज को लेकर बहुत सजग रहती हैं और काफी दिलचस्पी भी लेती हैं. उनके बेटे राहुल के साथ दोनों ही दिक्कते हैं, वो सदन में बोलने के दौरान में सदन में बोलते हुए नहीं दिखते. साथ ही सदन के कामकाज में रुचि भी नहीं रखते. उनकी वहां उपस्थिति भी ज्यादा नहीं रहती है. सोनिया बतौर अध्यक्ष नियमित तौर पर पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात और बातचीत करती रही हैं, जबकि राहुल पुराने नेताओं से खास लगाव नहीं रखते लेकिन युवा नेताओं से लगातार मिलते रहते हैं. पुराने नेताओं का अनुभव और सबक उनके काम आ सकता है. अगर राहुल गांधी सोनिया गांधी के बताए इन रास्तों पर चलती हैं तो उनके लिए भी राजनीतिक सफर थोड़ा आसान होगा...
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